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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऐसी फिल्में जो हर IAS/IPS अभ्यर्थी को देखनी चाहिए।

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 सच ही कहा जाता है कि फिल्में समाज का आइना होती है क्योंकि यह माना जाता है कि फिल्में अन्य  संप्रेषण मसलन लिखित ,मौखिक, नृत्य ,गायन की अपेक्षा मनुष्यों की अभिवृत्ति  तथा व्यवहार को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आम तौर पर भारतीय समाज की फिल्में सामाजिक मुद्दों पर ही आधारित होती हैं और समाज की अच्छाइयों तथा बुराइयों को अपने अभिनय के माध्यम से बखूबी उभार कर समाज के सामने रखती हैं परंतु  बालीवुड की कई फिल्में ऐसी भी है जो आईएएस आईपीएस की जीवनी पर आधारित है जो हमारे युवाओं को आईएएस बनने के लिए प्रेरित करती है साथ ही अधिकारियों को एक ईमानदार एवं सत्य निष्ठा अधिकारी बनने के लिए भी प्रेरित करती हैं। देश के सभी युवाओं को ऐसी प्रेरणा से भरी फिल्मों को एक बार अवश्य देखना चाहिए संभव है कि यह फिल्म भारतीय युवाओं को एक अच्छा करियर चुनने तथा सही मुकाम पर पहुंचने के लिए प्रेरित कर सकें।         इस लेख के माध्यम से हमने कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में बताने की कोशिश की है जो आईएस तथा आईपीएस अधिकारी बनने की राह को आसान बना सकती हैं तथा आपके लिए प्रे...

निबंध: धर्म का अर्थ स्वाकर्तव्यपालन से या मजहब से।

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प्रिय साथियों आज का हमारा लेख धर्म के अर्थ से संबंधित है अर्थात आज हमें समझने की कोशिश करेंगे कि धर्म का अर्थ मजहब से (जो कि अधिकांश लोग यही समझते हैं ) या कर्तव्यपालन से है, सबसे पहले यह समझ लेना अनिवार्य है कि धर्म के अर्थ की समझने की आवश्यकता आज क्यों है? आज के समय में आतंकवाद मॉब लिंचिंग तथा धर्म युद्ध जैसे शब्द आम हो गए हैं सूक्ष्म विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि इसका संबंध कहीं ना कहीं धर्म से ही है अर्थात इंसान धर्म के नाम पर इंसानों का कत्ल करने पर आमादा है कई देशों में आतंकवादी गुट सिर्फ इसलिए सक्रिय हैं क्योंकि वह अपने मूल धर्म को स्थापित करना चाहते हैं वही आपको कई बार यह सुनने को मिल जाएगा कि धर्म के नाम पर(गौ हत्या,किसी विशेष धर्म से नफरत होनेपर) उक्त व्यक्ति की हत्या कर दी गई इस बात से पूर्णता सिद्ध होता है कि उन्हें शायद धर्म का अर्थ पता ही नहीं है ,वहीं दूसरी ओर इंसान अपने कर्तव्यों का पालन ना कर के स्वार्थी होता जा रहा है ।संस्कारों तथा संस्कृतियों का विनाश हो रहा है इंसानी रिश्ते खून बहा रहे हैं। इंसान खुद के स्वार्थ के लिए जघन्य अपराध कर रहा है विडंबना देखिए भा...

मजदूरों के साथ इतनी संवेदनहीनता क्यों?

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 बशीर बद्र ने सच ही कहा है,              " मैं बोलूं तो इल्जाम है बगावत का                            चुप रहूं तो बेबसी सी होती है"।      इस पंक्ति के बारे में कुछ बोलूं उससे पहले रोज सुबह की अखबारों की हेडलाइंस का जिक्र करना जरूरी है -यूपी के औरैया में दो ट्रकों की भिड़ंत में 14 मजदूरों की मौत.........., महाराष्ट्र के  औरंगाबाद में ट्रेनों से कटकर मजदूरों की मौत............., सड़क पर ही एक महिला ने दिया बच्चे को जन्म .......,.....,उत्तर प्रदेश में 1 मजदूर के घर पहुंचते ही उसकी मौत ................बच्चा बोला और कितना चल तक चलना है मां पैरों में छाले पड़ गए हैं......... आदि-आदि । अखबारों की वह खबरें हैं जो हमें रोज ,सुबह-सुबह देखने को मिलती हैं और एक बार फिर 1947 के बंटवारे की तस्वीरें जेहन में घूमने लगती हैं इससे एक बात तो तय हो जाती है कि भारत में आज भी एक वर्ग ऐसा है जो वही जिंदगी जी रहा है जो सन 1947 में जी रहा था वह है, मजदूर गरीब वंचित वर्ग । आज...

IAS/PCS की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए 10 सबसे बेहतरीन वेबसाइट्स।

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 टेक्नोलॉजी के इस दौर में जहां हर एक क्षेत्र में इंटरनेट की उपलब्धता के कारण क्रांति सी आई है वहीं ई- लर्निंग में भी आज इंटरनेट की महती भूमिका निभा रहा है जिसके कारण विद्यार्थियों को बहुत आसानी हुई है जिसका प्रमुख कारण यह है कि इंटरनेट पर सूचनाओं का डेटाबेस लगातार अपडेट होता रहता है हालांकि इंटरनेट की दुनिया में इ-लर्निंग की अपनी कुछ सीमाएं हैं परंतु इससे जुड़े फायदे अद्वितीय हैं जब बात सिविल सर्विसेज की तैयारी की आती है तो यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि आपने गुणवत्तापूर्ण तैयारी की है या नहीं अर्थात आप ज्ञान की दुनिया में अपडेटेड हैं या नहीं। इंटरनेट का प्रयोग जब से बढ़ा है तब से आपको अपडेटेड स्टडी मैटेरियल इंटरनेट पर ही उपलब्ध हो जाता है जिससे आपको अधिक से अधिक किताबें इकट्ठा नहीं करनी पड़ती है जब इंटरनेट का प्रयोग आईएस की तैयारी में करते हैं तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप किस वेब साइटों का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि इंटरनेट पर कई भ्रामक वेबसाइट भी सक्रिय हैं जो आपका समय बर्बाद कर सकते हैं इसलिए सूचनाओं को फिल्टर करने की शैली महत्वपूर्ण हो जाती है यहां पर हम कुछ ऐसी वेबसाइ...

IAS की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए पुस्तक सूची।

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 नमस्कार दोस्तो हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को यूपीएससी की तैयारी करते समय सबसे बड़ी चुनौती इस बात की होती है कि वह तैयारी के दौरान कौन सी पुस्तकें पढ़ें और कौन सी नहीं। व्यापक विश्लेषण और हिंदी माध्यम के टॉपर्स(निशांत जैन,गंगा सिंह) के सुझावों के अनुरूप एक सूची हमने तैयार की है जो आप की तैयारी में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है यह सूची ना ही अंतिम है और ना ही बेस्ट। आप इसमें अपने हिसाब से जोड़ घटाव कर सकते हैं और यह भी ध्यान रखे सूची संकेत के तौर पर है  इसमें सभी को पढ़ना अनिवार्य नहीं है उदाहरण के तौर पर कई विषय के दो sourse  लिखे हैं परंतु पढ़ना उसमें से एक ही है।  किताबें-  ------ इतिहास- कक्षा  6 से 12 तक की NCERT, स्पेक्ट्रम की 'आधुनिक भारत का संक्षिप्त इंतिहास' और बिपिन चंद्रा की 'आज़ादी के बाद का भारत' भूगोल- कक्षा 6 से 12 तक की NCERT, इसके बाद यदि ज़रूरत पड़े तो महेश चन्द्र बर्णवाल या माजिद हुसैन या जी.सी लियोंग की किताब। साथ में ओक़्सफ़ोर्ड या ब्लैकस्वान का स्कूल एटलस। राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (एम. लक्ष्मीकांत) और भारतीय शास...

आंनलाइन पढ़ाई करने के लिए 10 सबसे बेस्ट यूट्यूब चैनल।

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 एक समय था जब सिविल सर्विसेज की तैयारी कुछ ऑफलाइन कोचिंगो के माध्यम से दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ही हो सकती थी परंतु इंटरनेट की उपलब्धता के बाद से शिक्षा क्षेत्र में क्रांति ही आ गई इंटरनेट पर उपलब्ध मुक्त पठनीय सामग्री ने सिविल सर्विस ही नहीं अपितु सभी परीक्षाओं की तैयारी को बहुत ही सहज बना दिया इससे ना केवल विद्यार्थियों को आसानी हुई है इसने भौगोलिक भेदभाव तथा गरीब अमीर के बीच की खाई को पाटने का भी काम किया है अर्थात दुनिया के किसी भी कोने में बैठा कोई भी छात्र अब इंटरनेट की सहायता से ऑनलाइन पढ़ाई कर सकता है इन सबमें यूट्यूब की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यूट्यूब पर बहुत सारे ऐसे चैनल है जो मुफ्त में प्रासंगिक गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं जो विद्यार्थियों की पढ़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं परंतु कुछ ऐसे भी चैनल है जो यूट्यूब पर विद्यार्थियों का समय बर्बाद करने अलावा कुछ भी नहीं करते इन्ही समस्याओं को देखते हुए हम कुछ ऐसे ही  यूट्यूब चैनल आपके सामने रख रहे हैं जो आपकी तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।  Dristi ias  यह चैन...

पढ़ते समय नींद से बचने के 10 सबसे आसान तरीके।

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 अक्सर विद्यार्थियों से बात करते समय हमने पाया है कि वह हमेशा इस बात की शिकायत करते रहते हैं कि हमें पढ़ते समय नींद बहुत आती है ..............क्या आपको भी पढ़ाई करते समय नींद आती है? क्या आप भी पढ़ते समय अक्सर सो जाते हैं ?प्यारे साथियों अगर ऐसा है तो इसी समस्या का हल निकालते हुए हम इस लेख में 10 ऐसे सरल उपाय बताने जा रहे हैं जो आपको सोए बिना प्रभावी तरीके से  पढ़ाई करने में मददगार साबित होगी। https://rajveerbhaker.blogspot.com/2020/05/effective-study.html  कम रोशनी में न पढ़ें। बहुत से विद्यार्थी सिर्फ एक स्टडी लैंप जलाकर ही पढ़ाई करते हैं जिसकी वजह से कमरे के बाकी हिस्से में तकरीबन अंधेरा रहता है अब आप ही बताओ कि    कम रोशनी शांति प्रदान दायक परिवेश ऐसे वातावरण मैं नींद आना तो अति स्वाभाविक है ऐसी स्थिति को उत्पन्न होने से रोकने के लिए अपने स्टडी रूम को अच्छे से प्रकाशित करें।      बेड पर लेट कर पढ़ने से बचें। पढ़ाई करते समय आपका आसन और बैठने का तरीका भी बहुत महत्व रखता है बेड पर लेट कर  कभी ना पढ़े इससे आपको आलस आ सकता है जो क...

ऐसे पढ़ेंगे तो हमेशा के लिए याद रहेगा।

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 पढ़ाई ........... शब्द सुनते ही हमारे जहन में अजीब अजीब से ख्याल आने लगते हैं कि पढ़ाई करना बहुत कठिन काम है.... पढ़ा हुआ हम कैसे याद रख पाएंगे ....टॉपर किस तरह पढ़ते होंगे आदि आदि इनसभी प्रश्नों के उत्तर आपको अब से नहीं परेशान करेंगे क्योंकि हम यहां पर एक ऐसी रणनीति आप सबके साथ साझा करेंगे जो आपकी पढ़ाई में 100% कारगर साबित होगी । मॉडल पेपर  मॉडल पेपर सॉल्व करें। सबसे बड़ी गलती विद्यार्थी यहीं पर करते हैं कि वह किसी भी परीक्षा की तैयारी शुरू करते हैं तो वह विद्यार्थी परीक्षा में आए हुए पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों को सॉल्व नहीं करते परंतु हमें ऐसा नहीं करना है क्योंकि इसके कई फायदे हैं मॉडल पेपर को सॉल्व करने से आपको पता चलता है कि परीक्षा में किस तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं और कई बार तो कई परीक्षा में सिलेबस विस्तृत नहीं होता है तो पूर्व सिलेबस की जानकारी भी पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों से मिल जाती है । रीडिंग/पढ़ाई।  मॉडल पेपर सॉल्व करने के बाद हमें बुक की रीडिंग करनी होगी । यहां पर हमें यहां बात ध्यान रखना है कि विषय के एक ही टॉपिक को कम से कम दो-त...

पुलिस व्यवस्था पर जनता का बढ़ता विश्वास।

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कोरोना संकट के समय जहां एक और डॉक्टर समुदाय के लोग भगवान के रूप में देख रहे हैं वही गठन के बाद से पहली बार ऐसा हो रहा है कि जनता में पुलिस महकमा के प्रति विश्वास बढ़ा है।  क्रोना संकट के बीच चुनौतियां तो दिख रही है साथ में एक सकारात्मक पक्ष भी नजर आ रहा है तमाम विश्लेषक अपने-अपने आधार पर यह रेखांकित करने का प्रयास कर रहे हैं कि आने वाले समय में जिंदगी बदल जाएगी अर्थात् मानव के रहन-सहन में परिवर्तन को होगा।हालाकि आने वाला कल कैसा होगा इस पर कोई एक आम राय नहीं बन पाई है भारतीय ससंदर्भ में भी एक ऐसे संगठन में बदलाव नजर आ रहा है जो दुर्भाग्य से अपनी स्थापना के बाद से ही नकारात्मक छवि से जूझता आ रहा है वह भारतीय पुलिस है इसका गठन १८६० में हुआ था।  1857 के दंगों के बाद पुलिस व्यवस्था की आवश्यकता  अंग्रेजी शासन को तब महसूस हुई जब भारतीय जनता ने अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए अग्रसर थी यही कारण है कि अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए पुलिस संगठन की स्थापना की जो कहीं तक अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल भी रहा हालांकि शासकों के लिए कुछ भी कर सकने वाली पुल...